जुवेनाइल जस्टिस बिल संसद की दोनों सभाओं से अंततः पास हो गया. दिल्ली में निर्भया का गैंगरेप हुआ. एक अपराधी जो नाबालिग़ था और जिसने निर्भया के साथ सबसे अधिक बीभत्स कृत्य किया वह आज हमारे बीच आजाद घूम रहा है. यह सत्य हमें सोचने के लिए विवश कर देता है कि एक नाबालिग़ अपराधी को क्या हमारे देश में इतने सस्ते में छोड़ देना चाहिए? या उसे भी फाँसी के फंदे में लटका देना चाहिए? Nirbhaya case ने देश में नया कानून तो ला दिया पर यह कानून कितना मजबूत है? यह कानून हमारे संविधान के किन अनुच्छेदों का उल्लंघन करता हुआ दिखाई दे रहा है? Juvenile Justice Act 2000 और Juvenile Justice Act 2014 में क्या अंतर है?

Juvenile Justice (Care & Protection of Children) Act 2014
बिल की मुख्य विशेषताएँ:
- यह बिल जुवेनाइल जस्टिस केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन एक्ट 2000 का स्थान लेगा. यह बिल उन बच्चों से सम्बंधित है जिन्होनें कानूनन कोई अपराध किया हो और जिन्हें देखभाल (remand home) और संरक्षण की आवश्यकता है.
- यह बिल जघन्य अपराधों में पाए गए सोलह से अठारह (16-18) वर्ष की आयु के बीच के किशोरों के ऊपर बालिगों के समान मुकदमा चलाने की अनुमति देता है. साथ ही, कोई भी 16 वर्ष से 18 वर्ष तक का किशोर, जिसने कम जघन्य अर्थात् गंभीर अपराध किया हो, उसके ऊपर बालिग़ के सामान केवल तभी मुकदमा चलाया जा सकता है जब उसे 21 वर्ष की आयु के बाद पकड़ा गया हो.
- प्रत्येक जिले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) और बाल कल्याण समतियाँ (CWC) का गठन किया जाएगा. जेजेबी एक प्रारम्भिक जाँच के बाद यह निर्धारित करेगा कि जुवेनाईल या बाल अपराधी को पुनर्वास के लिए भेजा जाए या एक बालिग़ के रूप में मुकदमा चलाया जाए. CWC देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के लिए संस्थागत देखभाल का निर्धारण करेगी.
- बिल में गोद लेने के लिए माता-पिता की योग्यता और गोद लेने की पद्धति को भी शामिल किया गया है.
- बच्चे के विरुद्ध अत्याचार, बच्चे को नशीला पदार्थ देना, बच्चे का अपहरण या उसे बेचने के बारे में दंड निर्धारित किया गया है.
विभिन्न लोगों के विभिन्न मत
- कुछ लोगों का तर्क है कि यह नया कानून नाबालिगों को अपराध करने से हतोत्साह नहीं करेगा. जैसा होता आया है वैसे ही होता रहेगा. कुछ लोगों के दृष्टिकोण इससे ठीक विपरीत हैं.
- यह नया कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 20 का साफ़-साफ़ उल्लंघन करता है.
अनुच्छेद 14 कहता है कि प्रत्येक व्यक्ति के साथ समान रूप से व्यवहार किया जाना चाहिए. पर यह बिल अपराधी के पकड़े जाने के समय उसकी जो आयु है…उससे निर्धारित होकर….दंड का प्रावधान करती है. इसका अर्थ यह हुआ कि यदि दो व्यक्ति एक ही अपराध करते हैं तो उनको इसके लिए अलग-अलग सजा मिलेगी यदि पकड़े जाने के समय उनमें से एक बालिग़ हो और दूसरा नाबालिग. कानून का यह प्रावधान कहीं न कहीं अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता हुआ दिखाई पड़ता है.
According to article 20 — No person shall be convicted of any offence except for violation of the law in force at the time of the commission of the act charged as an offence, nor be subjected to a penalty greater than that which might have been inflicted under the law in force at the time of the commission of the offence
जुवेनाइल की आयु और उसके परिणामस्वरूप दंड का निर्धारण करते समय (2000 एक्ट और पहले के 1986 एक्ट के तहत) सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने २००५ में यह निर्णय लिया कि अपराध करने की तिथि महत्वपूर्ण होती है नाकि पकड़ने की तिथि. मगर इस बिल में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है बिलकुल ठीक उल्टा है. इस बिल में अपराधी के पकड़े जाने की उम्र मायने रखती है.
इसीलिए इस नए एक्ट में अनुच्छेद 20 का भी उल्लंघन हो रहा है.